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सौ के फेर में नहीं पड़ें

Publish Date:Thu, 13 Feb 2014 01:17 PM (IST) | Updated Date:Thu, 13 Feb 2014 01:24 PM (IST)
सौ के फेर में नहीं पड़ें
कड़वे प्रवचनों के लिए विख्यात राष्ट्र संत तरुण सागर महाराज ने बुधवार को कड़वी बातों में नसीहतें दीं। उन्होंने धन के पीछे नहीं भागने, इच्छाओं पर नियंत्रण करने और तपस्या में समस्या का

आगरा। कड़वे प्रवचनों के लिए विख्यात राष्ट्र संत तरुण सागर महाराज ने बुधवार को कड़वी बातों में नसीहतें दीं। उन्होंने धन के पीछे नहीं भागने, इच्छाओं पर नियंत्रण करने और तपस्या में समस्या का समाधान छुपा होने की बात कही। राष्ट्र संत के प्रवचन सुनने के लिए भीड़ उमड़ी। खचाखच भरे पंडाल में तरुण सागर महाराज की जय-जयकार होती रही।

एमडी जैन इंटर कॉलेज के प्रांगण में प्रवचन करते हुए मुनिश्री ने कहा कि जीवन में परिवर्तन के लिए संवर्धन के लिए यह बात मान लो, सुख का संबंध केवल मन से है। जो तुम्हारे पास है, उसी में सुखी रहो। जो तुम्हारे पास नहीं है, उसके पीछे मत भागो। पैसे से सुविधाएं तो मिलेंगी, मगर सुख नहीं। उन्होंने कहा कि हर आदमी के सामने समस्याएं हैं। गरीब के आगे भूख लगे तो क्या खाए और अमीर के सामने समस्या यह है कि क्या खाए जो भूख लगे। सभी समस्याओं का समाधान तपस्या में है। जीवन में अनुकूलता आने पर भजन करने का इंतजार मत करो। भजन करना है तो तुरंत कर लेना। जब तक जीवन है, समस्याओं का अंत नहीं होगा।

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जीवन का आधार है गीता

दानघाटी मंदिर ने खोला सेवा का रास्ता

उन्होंने कहा कि जबान पर संयम रखो। परिवार में झगड़े इसी वजह से होते हैं। कुछ लोग वाणी की वजह से दिलों में उतर जाते हैं और कुछ दिल से उतर जाते हैं। ऐसा बोलो कि दिल बाग-बाग हो जाए। इससे पूर्व मुनिश्री की सात भागों में प्रकाशित हुई पुस्तक कड़वे प्रवचन के लोकार्पण के लिए बोलियां लगाई गई। पाद प्रक्षालन शिखरचंद्र जैन परिवार और गुरु पूजन जैन जागृति महिला मंच और पुलक जनचेतना मंच ने किया। मुनिश्री को शास्त्र भेंट अजय कुमार व अनंत कुमार परिवार ने किया।

इन्होंने किया मुनिश्री का स्वागत

स्वरूपचंद जैन, भोलानाथ जैन, चंदाबाबू जैन, पारसबाबू जैन, विमल कुमार, महेंद्र कुमार, अशोक जैन, आगरा दिगंबर जैन परिषद के अध्यक्ष अशोक जैन, नवीन जैन, उमेश जैन नॉटी, डॉ. राजीव जैन, अतुल बंसल, राजकुमार जैन, अखिल बरौल्या, अतुल बंसल, आशीष जैन ने मुनिश्री को श्रीफल भेंट कर उनका स्वागत किया। संचालन ब्रह्मचारी भैया सचिन और सतीश व मनोज ने किया।

चैन नहीं, इसलिए हुआ चेन्नई

राष्ट्र संत ने शहरों के नाम बदलने पर कहा कि मद्रास अच्छा नाम था मगर, उसे चेन्नई कर दिया। मैंने चिंतन किया तो समझ में आया कि ऐसा क्यों हुआ। वहां लोग लुंगी पहनते हैं और उसमें चैन नहीं होती। लुंगी में चैन नहीं इसलिए कर दिया चेन्नई।

इतने सारे सेट फिर भी माइंड अपसेट

राष्ट्र संत ने कहा कि आज देखने के लिए टीवी सेट, बैठने के लिए सोफा सेट, पीने के लिए टी सेट, पहनने के लिए डायमंड सेट है। मगर, फिर भी माइंड अपसेट है। यह जिंदगी की हकीकत है।

बड़ी चोरियां करने वाले बने संसद में

राष्ट्र संत ने कहा कि चोरी करने वाला, माता पिता की सेवा नहीं करने वाला, अतिथि की सेवा नहीं करने वाला, दूसरों का हक मारने वाला, भिखारी को धक्के मारकर घर से बाहर निकालने वाला चोर है। आज टुच्चे-मुच्चे चोर तो जेल में बंद हैं और बड़ी चोरियां करने वाले संसद और विधानसभा में पहुंच गए हैं।

खड़े-खड़े घर छोड़ने वाला संत

मुनिश्री ने कहा कि घर दो तरह से छोड़ा जाता है। पड़े-पड़े जो घर छोड़े वह मुर्दा और जो खड़े-खड़े घर छोड़े वह संत है।

राष्ट्र संत के कड़वे बोल

* बड़े-बड़े वैज्ञानिक मंगल पर जीवन की चिंता कर रहे हैं, मगर जीवन में मंगल की चिंता किसी को नहीं।

* गरीब शुगर के लिए कंट्रोल और अमीर शुगर कंट्रोल को डॉक्टर की दौड़ लगा रहे हैं।

* यह 21वीं शताब्दी का प्रभाव है। पहले अभाव में भी खुशियां थीं और आज खुशियों का ही अभाव है।

* कल तक जिंदगी मौन से चलती थी, आज लोन से चल रही है। लोन की किश्तें चुकाते-चुकाते आदमी एक दिन स्वयं चुक जाता है।

* जो शमशान तक चले वो तुम्हारे साथ नहीं, शमशान से आगे जो साथ जाए वह तुम्हारा है।

* इच्छाएं अनंत हैं, उन्हें समेटो। जेब में 90 रुपये हैं, तो 100 के फेर में मत पड़िए।

* पत्नी वह जो रहे पति से तनी-तनी, खत्म कर दे मनी।

* मौन व्रत रखें, घर में शांति आ जाएगी।

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Web Title:Tarun sagar maharaj discourse(Hindi news from Dainik Jagran, newsnational Desk)

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