सारण। सोनपुर - दीघा गंगा रेल सह सड़क पुल के पास बनाये गए पहलेजा स्टेशन बाढ़ पीड़ितों के लिए एक सहारा बन गया है। नहीं तो लोगों को सोनपुर स्टेशन पर जाकर आसरा लेना पड़ता। बाढ़ से बेघर हुए सैकड़ों परिवार इस स्टेशन पर शरण लिये हुए है।

गंगा, घाघरा, गंडक एवं सोन नदी के जल स्तर में वृद्धि होने से जिले के आठ प्रखंड के लोग प्रभावित हैं। इसमें सबसे अधिक लोग सोनपुर अनुमंडल के है। बाढ़ के कारण सोनपुर प्रखंड के हजारों लोग बेघर हो गए हैं। बताया जाता है कि सैकड़ों परिवार पहलेजा स्टेशन पर शरण लिये हुए हैं। यह स्टेशन पर बाढ़ पीड़ितों के लिए शरण स्थली बनी हुई है। अगर यह स्टेशन नहीं रहता तो इस स्टेशन पर शरण लेने वाले लोगों को सोनपुर स्टेशन पर जाना पड़ता। इस स्टेशन के नीचे चारों तरफ बाढ़ का पानी ही भरा हुआ है। वहीं बाढ़ पीड़ितों को पहलेजा स्टेशन जैसे ऊंचे स्थान मिल जाने से प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। बाढ़ पीड़ितों के लिए वहां प्रशासन द्वारा राहत शिविर चलाया जा रहा है। जिससे कि उन्हें बना बनाया भोजन मिल सके।

चावल, दाल बांटने में छूटने लगा पसीना : बाढ़ पीड़ितों के बीच चूड़ा, गुड़, सतू का वितरण तो किसी तरह कर दिया गया। इसमें लगे अधिकारी किसी तरह से चूड़ा, गुड़, सतू का पैकेट बांटकर निश्चिंत होने लगे थे। लेकिन राज्य सरकार के आदेश के बाद अब चावल, दाल, आलू का वितरण करने का कार्य शुरू हो गया है। चावल, दाल एवं आलू का पैकेट देख वितरण का कार्य में लगे अधिकारियों के पसीना छूटने लगा है। कई अधिकारी अब राहत का कार्य बंद करने के पक्ष में है। कुछ अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ का पानी काफी कम हो गया है। अब इसे बंद कर देना चाहिए।