मॉब लिंचिंग पर पीएम मोदी को खत, मणिरत्नम का खुलासा- मेरे साइन 'फर्जी'

फिल्मकार श्याम बेनेगल और अपर्णा सेन, गायिका शुभा मुद्गल और इतिहासकार रामचंद्र गुहा समाजशास्त्री आशीष नंदी सहित 49 नामी शख्सियतों ने 23 जुलाई को यह पत्र लिखा है.

News18Hindi
Updated: July 24, 2019, 5:27 PM IST
मॉब लिंचिंग पर पीएम मोदी को खत, मणिरत्नम का खुलासा- मेरे साइन 'फर्जी'
फिल्मकार श्याम बेनेगल और अपर्णा सेन, गायिका शुभा मुद्गल और इतिहासकार रामचंद्र गुहा समाजशास्त्री आशीष नंदी सहित 49 नामी शख्सियतों ने 23 जुलाई को यह पत्र लिखा है.
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Updated: July 24, 2019, 5:27 PM IST
देश में हो रही ‘त्रासद घटनाओं’ पर चिंता जताते हुए 49 लोगों के एक ग्रुप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है. इस खुले पत्र में उन्होंने कहा है कि जय श्री राम का उद्घोष भड़काऊ नारा बनता जा रहा है और इसके नाम पर पीट-पीट कर हत्या के कई मामले हो चुके हैं.

फिल्मकार श्याम बेनेगल और अपर्णा सेन, गायिका शुभा मुद्गल और इतिहासकार रामचंद्र गुहा, फिल्म निर्देशक मणिरत्नम, समाजशास्त्री आशीष नंदी सहित 49 नामी शख्सियतों ने 23 जुलाई को यह पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि असहमति के बिना लोकतंत्र नहीं होता है. बताया जा रहा है कि इन 49 लोगों में फिल्म निर्देशक मणिरत्नम भी शामिल हैं.

हालांकि मणिरत्नम की टीम ने इस तरह के किसी भी हस्ताक्षर करने के दावे को खारिज किया है. आज तक से बातचीत में इस तरह की किसी भी रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है. उनकी टीम के मुताबिक फिलहाल मणिरत्नम अपनी आगामी फिल्म के प्री-प्रमोशन में बिज़ी हैं. इसलिए उन्होंने न तो ऐसी किसी चिट्ठी पर साइन किया है और न ही ऐसी कोई चिट्ठी उनके पास सपोर्ट करने के लिए भेजी गई है.

चिट्ठी में जताई गई हैं ये चिंताएं

बता दें इस चिट्ठी में कहा गया है कि 'हम शांतिप्रिय और स्वाभिमानी भारतीय के रूप में, अपने प्यारे देश में हाल के दिनों में घटी कई दुखद घटनाओं से चिंतित हैं.' पत्र में कहा गया है, ‘‘मुस्लिमों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों की पीट-पीटकर हत्या के मामलों को तत्काल रोकना चाहिए. हम एनसीआरबी का आंकड़ा देखकर चौंक गए कि वर्ष 2016 में दलितों पर अत्याचार के कम से कम 840 मामले थे और दोषसिद्धि के प्रतिशत में भी गिरावट आयी.’’



पत्र में कहा गया है कि जय श्री राम के उद्घोष को भड़काऊ नारे में बदल दिया गया है और इससे कानून-व्यवस्था की समस्या होती है और इसके नाम पर पीटकर हत्या के कई मामले हो चुके हैं. यह हैरान करने वाली है कि धर्म के नाम पर इतनी हिंसा हो रही है.
लोगों का कहना असहमति के बिना कोई लोकतंत्र नहीं
पत्र लिखने वाले लोगों ने कहा है कि असहमति के बिना कोई लोकतंत्र नहीं है. लोगों पर राष्ट्रविरोधी या शहरी नक्सली का लेबल नहीं लगाना चाहिए और सरकार के खिलाफ असहमति जताने की वजह से कैद में नहीं डाला जाना चाहिये. पत्र में कहा गया है कि अगर कोई सत्तारूढ़ दल की आलोचना करता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे राष्ट्र के खिलाफ हैं.

इस चिट्ठी में क़रीब 49 लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि देश में बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाओं का वह संज्ञान लें और कड़े क़ानून बनाएं ताकि देश में बढ़ती इन घटनाओं को रोका जा सके.

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