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समलैंगिक विवाह (Samesex Marriage) in Hindi

समलैंगिक विवाह क्या है ? (What is Samesex marriage? ) 


समलैंगिक विवाह (Samesex Marriage) जिसे गे(Gay) और लेस्बियन (Lesbian) मैरेज भी कहते हैं यह एक जैसे लिंग (Gender) वाले लोगों के बीच विवाह है जैसे पुरुष का विवाह पुरुष के साथ और महिला का विवाह महिला के साथ जो एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो। 
समलैंगिक विवाह करने वाले लोग अपने साथी के साथ वैसे ही रहते हैं जैसे साधारण विवाह करने के बाद पुरुष और महिला रहते हैं, बस समलैंगिक (Samesex Marriage) के बाद उनका खुद का कोई बच्चा नहीं हो पाता है। 


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समलैंगिक विवाह का कारण (Reason of Same Sex Marriage


जब कोई भी व्यक्ति अपने जैसे लिंग(gender) वाले के प्रति आकर्षित हो जाए ठीक उसी प्रकार जैसे कोई पुरुष महिला के प्रति और महिला पुरुष के प्रति आकर्षित होती है, उसी प्रकार समलैंगिक लोग अपने जैसे लिंग(gender) वाले व्यक्ति से आकर्षक हो जाते है जाति पुरुष पुरुष से और महिला महिला से। 

समलैंगिक लोगों के प्रकार :

गे (Gay) 
जैसे किसी पुरुष का महिला के प्रति आकर्षण होता है उसी प्रकार जब किसी पुरुष का पुरुष के प्रति आकर्षण हो और उसका महिला के प्रति किसी भी प्रकार का आकर्षण ना रहे उस पुरुष को गे बोल सकते हैं। 
पर जो व्यक्ति गे है उसके अलावा कोई अन्य व्यक्ति नहीं पता लगा सकता कि वह गे है और गे के गुप्तांग बिल्कुल एक सामान्य पुरुष की तरह ही होते हैं बस उसका आकर्षण महिला से पुरुष हो जाता है, अभी तक कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि पुरुष गे क्यों बन जाता है। 


लैसबियन (Lesbian) 
जब किसी महिलाओं का महिला के पति आकर्षण हो और उसका पुरुष के पति कोई भी आकर्षण ना बचे तो उस महिला को लेस्बियन बोल सकते हैं। 
लैसबियन केबी गुप्तांग अन्य महिलाओं की तरह ही होते हैं और कोई अन्य उस महिला के अलावा यह नहीं बता सकता कि वह लैसबियन है या एक आम महिला। 


कई रिसर्च करने के बाद भी आज तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि लोग समलैंगिक कैसे हो जाते हैं और उनका आकर्षण अपने जैसे लिंग वालों के प्रति हो जाता है पर इसके अलग-अलग वैज्ञानिक और शोधकर्ता अलग-अलग कारण मानते हैं। 

उनमें से प्रमुख कारण यह है कि कई विज्ञानिक समलैंगिक आकर्षण को एक बीमारी मानते हैं और बोलते हैं कि जब किसी व्यक्ति के अंदर और हार्मोनाल डिसबैलेंस हो जाता है जिसके चक्कर में उनका आकर्षण अपने सामान लिंग वाले व्यक्तियों से होने लग जाता है। 

कई रिपोर्ट में यह भी देखा गया है कि जिन लोगों का अपने जैसे लिंग वाले लोगों के प्रति आकर्षण होता है उनकी घरेलू परवरिश भी एक वजह मानी गई है और कई लोगों को तो यह अपने माता-पिता से जन्म से ही मिलता है जिनके अंदर कुछ समलैंगिक भावनाएं होती है। 

पर अधिकतर रिपोर्ट में इसका कारण हार्मोनल डिसबैलेंस माना गया है और कई वैज्ञानिक तो इससे एक प्रकार की बीमारी बोलते हैं पर इसका स्पष्ट कारण पर अभी भी शोध हो रही है। 


समलैंगिक विवाह का इतिहास (History of Samesex Marriage) 

इतिहास में कई बार समलैंगिक विवाह के बारे में चर्चा मिलती है और कहीं बाहर समलैंगिक विवाह को इतिहास में प्रतिबंधित करती हुई भी दिखाया गया है जैसे कि लेविटिकस की पुस्तक मे समलैंगिक संबंधों को प्रतिबंधित किया, और इब्रानियों को चेतावनी दी गई थी कि वे "मिस्र की भूमि या कनान की भूमि के कृत्यों का पालन न करें" (लैव्य0 18:22, 20:13)।
जिसका यह मतलब होता है कि पुरुष पुरुष से और महिला महिला से शादी ना करे। 

रोमन सम्राट नीरो ने एक फूल से शादी की थी, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने अलग-अलग मौकों पर दो अन्य पुरुषों से भी शादी की थी। 

342 ईस्वी में, ईसाई सम्राट कॉन्स्टेंटियस II ने थियोडोसियन कोड (C. Th. 9.7.3) में एक कानून जारी किया, जो रोम में समलैंगिक जोड़ों के बीच विवाह पर रोक लगाता है और ऐसे विवाहितों के लिए मृत्युदंड का आदेश देता है। 

इतिहास में समलैंगिक विवाह और उन पर लगाए गए रोक के बहुत सारे तथ्य मिलते हैं


समलैंगिक विवाह विवादों में क्यों है (Why Samesex Marriage in Controversy) 

समलैंगिक विवाह के बारे मे और इससे जुड़े विवादों को आपने कई बार सुना होगा पर यह आज से विवादों में नहीं है बल्कि पिछले 50 से अधिक वर्षों से यह लगातार विवादों में है और यह तक की समलैंगिक विवाह इतिहास में भी कई बार देखा गया और विवाद में भी रह चूका है। 

हमारे समाज में बहुत तरीके के लोग रहते हैं और हर इंसान का अपना नजरिया होता है, उसी प्रकार समलैंगिक विवाह के ऊपर भी समाज में अलग-अलग वर्ग का अलग अलग नजरिया और इसी नजरिए को लेकर जब आपस में मतभेद हो जाते हैं तो समलैंगिक विवाह विवादों में आ जाता है। 

कई लोग समलैंगिक विवाह के समर्थन में है और इसके विपरीत कई लोग इसे समाज में धब्बा बताते हैं इसे पूरी तरीके से प्रतिबंधित और गैरकानूनी घोषित कराना चाहते हैं और इसी आपसे मतभेद के चक्कर में समलैंगिक विवाह कई बार विवादों में रहता है और जो लोग इसका समर्थन करते हैं वह लोग इसे मान्यता दिलाने के लिए कई बार प्रदर्शन करती हुई भी दिखाई देते हैं और जो लोग इसका विरोध करते हैं वह भी इसे गैर कानूनी करार करने के लिए प्रदर्शन करते हुए दिखाई दिए हैं और ऐसा पहली बार नहीं हो रहा यह पिछले बीते कुछ दशकों से लगातार देखा गया था और समलैंगिक विवाह पर समाज की अलग-अलग वर्ग का अलग-अलग दृष्टिकोण भी है। 
भारत में भी समलैंगिक विवाह बीती पिछले कुछ सालों से लगातार विवादों में बना हुआ है क्योंकि भारत में इसे मान्यता दिलाने के लिए कई बार प्रदर्शन देखने को मिले है और इसके ऊपर एक विशेष कानून बनाने की मांग समलैंगिक समुदाय से कई बार उठी हैं । 


समलैंगिक विवाह की मान्यता (Legality of Samesex marriage) 

पिछले कुछ दशकों से समलैंगिक विवाह के ऊपर कई देशों ने विशेष कानून बनाए हैं और बहुत सारे देशों ने इसे मान्यता भी दे रखी है, पर कई ऐसे देश भी हैं जहां पर इसे पूरी तरीके से गैर कानूनी घोषित कर रखा है और बहुत से ऐसे भी देश है जहां पर इसके ऊपर कोई विशेष कानून ही नहीं है। 

जिन देशों ने इसे मान्यता दी है वहां पर इसे मान्यता दिलाने के लिए कई संघर्ष और प्रदर्शन देखने को मिलेगा और तब जाकर समलैंगिक विवाह को बहुत सारे देशों ने मान्यता दी है और इस पर विशेष कानून भी बनाया है और समलैंगिक विवाह आज के समय में कानूनी तौर पर बहुत सारे देशों में मान्यता पा चुका है उसमें से प्रमुख देश संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (USA), इंग्लैंड, फ्रांस, साउथ अफ्रीका और भी बहुत सारे देश है खासकर पश्चिमी देश जिन्होंने इसे मान्यता दे रखी है । 

बहुत सारे ऐसे भी हैं जिन्होंने इसे अपने देश में समलैंगिक विवाह को गैरकानूनी घोषित कर रखा है जैसे सऊदी अरेबिया सूडान यमन और अन्य बहुत सारे देश खासकर मध्य पूर्वी देश और बहुत सारेफूल देश ऐसे हैं जहां पर समलैंगिक विवाह के ऊपर कोई विशेष कानून नहीं है खासकर पूर्वी देश। 


समलैंगिक विवाह का पक्ष और विपक्ष (Favour & Argument on Samesex Marriage) 

समलैंगिक विवाह सही है या गलत यह हर एक इंसान के सोच के ऊपर निर्भर करता है कई लोग इसे तुरंत प्रतिबंधित करने की सोचते हैं और कई लोग इस पर विशेष कानून के साथ इसे मान्यता दिलवाने की सोचते हैं। 

जो लोग कहते हैं कि समलैंगिक विवाह गलत चीज है उनकी जो तर्क रहते हैं वह इस प्रकार है कि जो लोग समलैंगिक विवाह करते हैं उन्हें बीमारी हो रखी है वह बीमारी को ठीक करने की वजह उल्टा अपने जैसे से शादी कर रहे हैं जो कि गलत है और जब दो समलैंगिक आपस में शादी करेंगे तो उनका कोई बच्चा तो नहीं होगा और वह जिसे गोद लेंगे वह भी उनकी देखरेख में उन्हीं की तरह हो जाएगा फिर इससे समलैंगिक लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जाएगी। 

पर जो लोग समलैंगिक विवाह के समर्थन में है वह कहते हैं कि समलैंगिक विवाह करना दो इंसानों की आपकी मर्जी है इसमें किसी तीसरे को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए अगर कोई तीसरा हस्तक्षेप करता है तो यह मानवीय अधिकार का उल्लंघन होगा। 

कई रिपोर्टों और रिसर्च के अनुसार 

समलैंगिक विवाह के पक्ष में तर्क:
समानता और मानवाधिकार: समर्थकों का तर्क है कि समलैंगिक जोड़ों को शादी करने का अधिकार देने से इनकार करना भेदभाव का एक रूप है और उनके बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन है। उनका मानना ​​​​है कि सभी व्यक्तियों को, यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना, समान अधिकार और अवसर होने चाहिए, जिसमें उस व्यक्ति से शादी करने की क्षमता भी शामिल है जिसे वे प्यार करते हैं।

कानूनी सुरक्षा: विवाह कानूनी सुरक्षा और लाभ प्रदान करता है, जैसे विरासत के अधिकार, स्वास्थ्य संबंधी निर्णय, कर लाभ, और बीमा या सेवानिवृत्ति लाभ जैसे पति-पत्नी के लाभों तक पहुंच। अधिवक्ताओं का तर्क है कि समलैंगिक जोड़ों को इन कानूनी सुरक्षा से वंचित करना अनुचित है और समाज में पूरी तरह से भाग लेने की उनकी क्षमता को कमजोर करता है।

सामाजिक स्वीकृति और दृश्यता: समान-लिंग विवाह को वैध बनाने से सामाजिक स्वीकृति को बढ़ावा देने और LGBTQ+ व्यक्तियों के खिलाफ कलंक को कम करने में मदद मिल सकती है। यह समावेशिता और समानता का संदेश देता है, समलैंगिक जोड़ों को खुले तौर पर अपने प्यार और प्रतिबद्धता को व्यक्त करने की इजाजत देता है, और एक अधिक विविध और सहिष्णु समाज में योगदान देता है।

बाल कल्याण: शोध से पता चला है कि समान-लिंग वाले जोड़ों द्वारा उठाए गए बच्चे विषमलैंगिक जोड़ों द्वारा उठाए गए बच्चों के साथ-साथ किराया भी देते हैं। समलैंगिक जोड़ों को शादी करने की अनुमति देना उनके परिवारों को कानूनी और सामाजिक मान्यता प्रदान करता है, जो उनके बच्चों के समग्र कल्याण में योगदान कर सकता है।


समलैंगिक विवाह के खिलाफ तर्क:
धार्मिक मान्यताएँ: समान-सेक्स विवाह के विरोधी अक्सर धार्मिक शिक्षाओं या व्याख्याओं का हवाला देते हैं जो समलैंगिकता को नैतिक रूप से गलत या पारंपरिक धार्मिक मूल्यों के विरुद्ध मानती हैं। उनका मानना ​​है कि विवाह को उनके धार्मिक शास्त्रों के आधार पर एक पुरुष और एक महिला के बीच सख्ती से परिभाषित किया जाना चाहिए।

परंपरा और सांस्कृतिक मूल्य: कुछ लोगों का तर्क है कि पारंपरिक विवाह को ऐतिहासिक रूप से एक पुरुष और एक महिला के बीच के रूप में परिभाषित किया गया है, और इस परिभाषा को बदलने से समाज के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचता है। वे पारंपरिक संस्थानों के संरक्षण के महत्व पर जोर देते हैं।

प्रजनन और पालन-पोषण: आलोचकों का तर्क हो सकता है कि विवाह प्रजनन और बच्चों की परवरिश के उद्देश्य को पूरा करता है। उनका तर्क है कि चूंकि समलैंगिक जोड़े स्वाभाविक रूप से एक साथ बच्चे पैदा नहीं कर सकते, इसलिए उन्हें शादी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

फिसलन ढलान: ऐसी चिंताएँ हैं कि समान-लिंग विवाह को वैध बनाने से अन्य सामाजिक या नैतिक मानदंडों का क्षरण हो सकता है। आलोचकों का तर्क है कि विषमलैंगिक जोड़ों से परे विवाह की परिभाषा का विस्तार करने से बहुपत्नी या बहुपत्नी संबंधों जैसे आगे पुनर्वितरण के द्वार खुल सकते हैं।


भारत मे समलैंगिक विवाह (Samesex marriage in India) 

समलैंगिक विवाह आजादी से अभी पिछले कुछ वर्षों तक भारत में गैरकानूनी था पर इस समय समलैंगिक विवाह पर भारत में कोई विशेष कानून नहीं है पर भारत मे इसे गैरकानूनी भी नहीं माना जाता।

पर बीते कुछ वर्षों में समलैंगिक विवाह पर भारत में कई जगहों पर प्रदर्शन देखने को मिलेगा चाहे समलैंगिक विवाह के पक्ष में या खिलाफ। 
समलैंगिक विभाग के ऊपर भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में कई वर्षों से सुनवाई चल रही और इसमें समलैंगिक योग यह चाहते हैं कि समलैंगिक विवाह को भारत में मान्यता मिली और इसके ऊपर विशेष कानून भी बनाया जाए। 


क्या समलैंगिक विवाह को भारत में मान्यता मिलेगी? 


समलैंगिक विवाह को भारत मैं मान्यता देना या ना देना ये भारत कि आदरणीय सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) का काम है इसमें कोई और हस्तक्षेप नहीं कर सकता है, आदरणीय सर्वोच्च न्यायालय भारत के हर एक नागरिक की चिंता करती है और उनके अधिकारों का भी ध्यान रखती है इसमें कोई दो राय नहीं है। 

उसी प्रकार समलैंगिक विवाह पर भी भारतीय सर्वोच्च न्यायालय कोई ना कोई फैसला सुनाएगा जोकि हर प्रकार से उचित रहेगा, क्योंकि भारत में समलैंगिक विभाग के ऊपर कोई कानून नहीं बन रखा है इसलिए हो सकता है सर्वोच्च न्यायालय यह काम भारतीय संसद के ऊपर छोड़ दे की समलैंगिक विवाह के ऊपर कोई उचित कानून बनाएं और बहुत सारे देश जिसमें ह्यूमन राइट का काफी ज्यादा हवाला चलता है उन्होंने पहले से ही समलैंगिक विवाह को मान्यता दे रखी है और हो सकता है कि आज नहीं पर आगे आने वाले कुछ सालों में समलैंगिक विवाह को भारत में मान्यता मिल जाए। 


निष्कर्ष (Conclusion) 


अंत में समलैंगिक विवाह पर समाज में अलग-अलग लोगों का अलग-अलग तरीके का दृष्टिकोण है कई इसके इसे मान्यता दिलाने के पक्ष में है और कई विपक्ष में पर बहुत से ऐसे भी लोग हैं जिन्हें फर्क नहीं पड़ता कि इसे मान्यता मिले या नहीं। 

समान-लिंग विवाह के समर्थक समानता, मानवाधिकारों, कानूनी सुरक्षा, सामाजिक स्वीकृति और समान-लिंग वाले जोड़ों द्वारा उठाए गए बच्चों की भलाई के सिद्धांतों पर जोर देते हैं। उनका तर्क है कि समान-लिंग वाले जोड़ों को शादी करने के अधिकार से दूर रखना एक बहुत बड़ा भेदभाव होगा और समाज में पूरी तरह से भाग लेने की उनकी क्षमता नष्ट हो जाएगी। 

समान-सेक्स विवाह के विरोधी अक्सर अपने तर्कों मे धार्मिक विश्वासों, सांस्कृतिक परंपराओं, विवाह के कथित उद्देश्य और संभावित सामाजिक परिणामों, होने वाली बीमारियों को दर्शाते हैं , और इस बीमारी से ज्यादा कुछ नहीं मानते। 

कई विकसित देशों ने समलैंगिक विवाह को मानव अधिकार के नाते और व्यक्तिगत निजी मामला बताकर मान्यता दे दी है और अभी भी बहुत सारे देशों में समलैंगिक विवाह को मान्यता दिलाने के ऊपर संघर्ष जारी है और अलग-अलग इंसान का इसी विषय पर अलग-अलग दृष्टिकोण लिखा गया है और हो सकता है भविष्य बहुत से और देश इसे मान्यता दे दे। 

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