जब से मैंने हिंदी में ब्लाग लिखना शुरू किया हमारा काम बढ़ गया। अब हमें दूसरे विषयों के साथ-साथ अपने बच्चों को हिंदी भी पढ़ानी पड़ती है। हमने एकाध बार मना किया कि हिंदी हमसे नहीं हो पायेगी। लेकिन हमें यह कहा गया कि जो हिंदी में ब्लाग लिख सकता वह हिंदी पढ़ा भी सकता है। मैंने पत्नी से झिझकते हुये यह कहने की कोशिश की कि जिन लोगों ने हिंदी में एम.ए. किया है उनको यह काम करना चाहिये। लेकिन हमें यह कह कर चुप करा दिया गया कि एम.ए. तो ऐसे ही टाइम पास के लिये किया जाता है बच्चों को पढ़ाने के लिये नहीं। लिहाजा हम बच्चों के साथ अक्सर हिंदीगीरी करते हैं।
एक दिन मैं अपने बच्चे को हिंदी के वाक्य-प्रयोग, कहावतें-मुहावरे आदि बताने का प्रयास कर रहा था। इस प्रयास में कुछ देर बाद बोरियत भी जुड़ गयी। फिर मुझे याद आया कि अगर कोई काम नये तरीके से किया जाये तो काम चाहे भले न हो लेकिन बोरियत भाग जाती है। तो बोरियत भगाने के लिये हमने अपने बच्चे को कुछ वाक्य-प्रयोग करने को दिये। मैंने उसे कुछ हिंदी ब्लाग्स के बारे में बताया और उससे कहा इन वाक्य प्रयोगों को हमारे ब्लाग जगत का हवाला देते हुये करो। उसने कहा यह सब मेरे कोर्स में नहीं है। लिहाजा हमने अपने वाक्य प्रयोग खुद किय उसने अपने। कुछ देर बाद जब हमने अपने वाक्य-प्रयोग देखे तो हम खुद उसी तरह आश्चर्यचकित रह गये जैसे कभी प्रत्यक्षा अपने बच्चे हर्षिल के रेखाचित्र देखकर हुयीं थी। यह स्थिति मुग्धा नायिका की स्थिति कहलाती है जो अपने सौंन्दर्य पर रीझती है। बहरहाल ये कुछ वाक्य प्रयोग यहां दिये जा रहे हैं।
आंख के अंधे नाम नयनसुख:- फुरसतिया को कभी-कभी अपना ब्लाग लिखने की फुरसत नहीं मिलती।
यह कुछ ऐसा ही है कि आंख के अंधे नाम नयनसुख।
भूसे के ढेर में सुई तलाशना:- रवि रतलामी जी के ब्लाग में विज्ञापनों की भीड़ में लिखा हुआ मसाला पढ़ना भूसे के ढेर में सुई तलाशने के समान है।
एक मछ्ली सारे तालाब को गंदा करती है:- उड़न तस्तरी की पोस्ट पर छपी कविता देखकर तमाम लोगों ने कविता लिख मारी। इसीलिये कहा गया है कि एक मछली(पोस्ट) सारे तालाब को गंदा करती है।
खून खौल उठना:- अपनी पोस्ट को गंदगी पैदा करने वाली मछली के समान बताये जाने पर समीरलालजी का खून खौल उठा।
झांसे में आना:- जब समीरलाल जी को यह बताया गया कि वास्तव में यह उनकी तारीफ की गयी थी तो वे सरल ह्रदय होने के कारण वेझांसे में आ गये और उनका गुस्सा शांत हो गया।
होश उड़ जाना:- अपने नाम से अपने डुप्लीकेट के कमेंट पढ़कर जीतेंद्र के होश उड़ गये।
सांस फूल जाना:- ५१ कमेंट करने का संकल्प लेकर चले गिरिराज जोशी की ३० कमेंट के बाद ही सांस फूल गयी और वे जहां थे वहीं बैठ गये।
ईद का चांद हो जाना:-इंद्र अवस्थी, देबाशीष, रमनकौल, अतुल अरोरा आदि की पोस्टें अब ईद की चांद हो गयीं हैं।
जान हथेली पर रखना:- शुएब जान हथेली पर रखकर (किसकी) कट्टरपंथियों के खिलाफ लेख लिखते रहते हैं।
नौ दो ग्यारह होना:- गलतियों के लिये कोई पकड़ न ले इसलिये नारद का काम करके जीतेंद्र, स्वामीजी और दूसरे साथ नौ दो ग्यारह हो गये।
एक अनार सौ बीमार:- आजकल कविता की मांग इतनी ज्यादा बढ़ गयी है कि उसे हर कोई अपने ब्लाग में चिपकाना चाहता है इसे कहते हैं -एक अनार सौ बीमार।
छ्क्के छूट जाना:- एक अकेली प्रत्यक्षा में इतनी सारी खूबियां देखकर पाठ्कों के छक्के छूट गये।
मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त:-चिट्ठे चाहे एक भी न लिखें जायें लेकिन चिट्ठाचर्चा रोज होती है इसे कहते हैं मुद्दई सुस्त-गवाह चुस्त।
आम के आम गुठलियों के दाम:- ब्लागिंग ज्यादातर लोग शौक के लिये शुरू करते हैं। पता लगने पर कुछ लोग विज्ञापन लगा लेते हैं जिससे चार पैसे आ जाते हैं। इसे कहते हैं आम के आम, गुठलियों के दाम।
गागर में सागर:- हिंदी के आदि चिट्ठाकार आलोक एक-एक शब्द में पूरी पोस्ट लिखकर गागर में सागर भर देते हैं/थे।
कंगाली में आटा गीला होना:- आफिस के काम से देबाशीष ऐसे ही इतने परेशान थे कि निरंतर का अगला अंक सारा मसाला तैयार होने के बावजूद नहीं निकाल पा रहे हैं इस कंगाली में उनका आटा और गीला तब हो गया जब उनकी कंप्यूटर की सीडी ड्राइव भी खराब हो गयी।
सर के ऊपर से निकल जाना:- राकेश खंडेलवाल की कविता-टिप्पणी अमित के सर के ऊपर से निकल गयी।
मुंह में पानी आ जाना:- रत्नाजी की रसोई के व्यंजनों की याद करते ही पाठकों के मुंह में पानी आ जाताहै।
नदी के दो पाट होना:- गंभीरता और जीतेंन्दरनदी के दो पाट हैं जो आपस में कभी नहीं मिलते।
सरपट दौड़ना:-कुंडलिया किंग समीरलाल के चेले गिरिराज जोशी सरपट दौड़ते हैं और कविता की किसी विधा में ठहरकर नहीं रहते।
चने की झाड़ पर चढा़ना:-सारे ब्लागर एक दूसरी की तारीफ करके एक दूसरे को चने के झाड़ पर चढ़ाते रहते हैं। चने के पेड़ की ऊंचाई कम होने के कारण न गिरने का खतरा रहता है न सीढ़ी की जरूरत इसलिये यह काम धड़ल्ले से चल रहा है।
बौरे गांव ऊंट आना:- महीनॊं से किसी टिप्पणी रहित ब्लाग पर पहली टिप्पणी उसी तरह होती है जैसे कि बौरे गांव ऊंट का आना।
नीम हकीम खतरे जान:-मौज मजे से अधिक किसी ज्योतिषाचार्य की बात का भरोसा करके अपने ब्लाग के लिये ताबीज बनवाना उसी तरह है जैसे किसी नीम हकीम से अपना इलाज करवाना खतरनाक होता है।
ये कुछ वाक्य प्रयोग हमने अपनी हिंदी की जानकारी देखने के लिये किये। अब मेरा बच्चा तो अभी अपने काम में जुटा है और उसको यह सब दिखाना ऐसा ही है जैसे कि समीरलाल जी अपनी कुंडलियां गिरिराज जोशी को दिखायें। अब आप ही देख लें कि ये वाक्य प्रयोग ठीक हैं कि नहीं! कुछ सुधार की गुंजाइश हो तो बतायें। मौका मिले तो आप भी कुछ वाक्य प्रयोग कर डालें।
साँप भी मर जाए और लाठी भा ना टूटे : फुरसतीयाजी अपनी बात कहने के ऐसे ऐसे तरिके निकालते हैं की कह भी ले और सामने वाला चाह कर भी न बुरा मान सकता हैं न इनकार कर सकता हैं, इसे कहते हैं साँप भी मर जाए और लाठी भा ना टूटे.
इस टिप्पणी पर आप कह सकते हैं की संजय यानी खिसियाई बिल्ली, खम्भा नौचे.
सिर मुंडाते ही ओले पड़ना – सुबह सुबह सभी ब्लॉगरों ये पोस्ट झेलनी पड़ी।
चले थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास – कहाँ फुरसतिया बच्चे को पढाने चले थे, कहाँ ब्लॉगरों की खिंचाई पर उतर आए।
नोट: महिला ब्लॉगरों के प्रति फुरसतिया के साफ़्ट कार्नर को नोट किया जाए।
कहावत : सांप भी मर जाए लाठी भी ना टुटे
वाक्य रचना : फुरसतियाजी बातों ही बातों अनुठे तरीके से सन्देश दे जाते हैं, सामने वाले को बुरा भी नहीं लगता और वो समझ भी जाता है। इसे कहते हैं सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टुटे।
सौ में नब्बे अंक मिले । बधाई ! बच्चा अच्छे से पास हो गया
वाह, क्या बढिया वाक्य-प्रयोग किए हैं। लेकिन ऐसा न हो कि ये वाक्य-प्रयोग बच्चों के शिक्षक/शिक्षिका के ‘सर के ऊपर से निकल जाएँ’।
अब बच्चे बडों को हर दिन यही मिसालें देंगे
अच्छी कहावतें हैं अनूपजी – मैं ने कभी इनका प्रयोग ही नही क्या
“होनहार बिरवान के होत चिकने पात” फुरसतिया के बच्चे का मुहावरों के बहाने उनकी चिकाई करना.
“नाच न आये आंगन टेढ़ा” काली का कुन्डलियाँ लिखना.
“हाथ-पाँव फ़ूलना” नारद में त्रुटियाँ मिलने पर जीतु की हालत.
“दान की बछिया के दाँत नहीं गिने जाते” मेरी इस टिप्पणी में दोष निकालना.
हाथ कंगन को आरसी क्या
पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या ?????
प्रिय बालक चि. मास्टर शुक्ल (ये मास्टर शुक्ल-अनन्य हैं कि दादा?),
आपकी अद्वितीय क्षमता देख कर हमारी छाती गर्व से चौड़ी हो गई. आप इतना अच्छा लिख रहे हैं कि हम बहुत विश्वास के साथ कह सकते हैं, पूत के पांव पालने मे दिख रहे है. लेकिन बेटा, हमें तो दाल में काला नजर आ रहा है. कहीं पापा ने आपका नाम धर कर आड़ में झाड़ काटने की कोशिश तो नहीं की है.
बेटा, आपका ईमेल भी मिल गया, जरा देर से देखा क्योंकि मै घोड़े बेच कर सोया था, जिसमें आपने लिखा कि पापा ने आपका वो खरबूजे को देखकर तरबूजा रंग बदलता है वाला मुहावरा बदल कर एक मछ्ली सारे तालाब को गंदा करती है पोस्ट कर दिया है. बेटा, हम जानते हैं आपके पापा को, वो अक्सर ऐसा करते हैं, हम नहीं जानेंगे तो कैसे चलेगा क्योंकि मै और आपके पापा चोर चोर मौसेरे भाई जो हैं. और हां, आपकी बात पर खून खौलने और झांसे में आने का सवाल ही नहीं, आपने तो हमें वाकई तारीफों के पुल बांधकर चने के झाड़ पर चढ़ा दिया
-उड़न तश्तरी
पश्चिम से सूरज निकलनाःकाली भईया द्वारा सोनिया स्टाईल (रोमन) हिंदी छोड़कर देवनागरी में टिप्पणी करना
आँखो को ठंडक पहुँचनाःकाली भईया की टिप्पणी देवनागरी में देखकर आँखो को ठंडक पहुंची।
एक बार फ़िर हम खिलखिला कर हँस दिये,हमेशा की तरह बहुत खूब लिखा है.
ये वाक्य प्रयोग तो हर स्कूल के पाठ्यक्रम एं शामिल किये जाने चाहिए
आप अपने बच्चों को ही पूरा ज्ञान बाँट देंगे तो कैसे चलेगा।
जितने मुहावरे पढ़े थे सबका प्रयोग ऊपर हो चुका है सो सोचती हूँ- ‘भई वाह’ कह कर ही आपको इतने अच्छे लेख केलिए बधाई दे दूँ। ईश्वर करे आप ऐसे ही वाह-वाही लूटतें रहे और सबको चने के झाड़ पर चढ़ा कर उनकी टांग खींचते रहे। कलम तोड़ कर ऱखने में आप नया कीर्तिमान बनाएँ। आपकी ख्याति का सूरज सदा चमकता रहे।
नंगा नहाये क्या निचोड़ क्याः सारे मुहावरे तो सब ने मिलकर यहाँ लिख दिये अब अपना कुछ यही हाल है
….मैंने पत्नी से झिझकते हुये यह कहने की कोशिश की कि जिन लोगों ने हिंदी में एम.ए. किया है उनको यह काम करना चाहिये। …
ऐसी गुप्त सूचनाओं को लीक करने पर सजा मिल सकती है, अतः भविष्य में ध्यान रखा जाए….
सही मज़ेदार है।
बहुत जीवंत और सटीक वाक्य प्रयोग हैं।
मेरी विलम्ब से होने वाली इस टिप्पणी पर तो अनूप जी कदाचित् यही कहेंगे।
का वर्षा जब कृषि सुखाने।
बहुत जीवंत और सटीक वाक्य प्रयोग हैं।
मेरी विलम्ब से होने वाली इस टिप्पणी पर तो अनूप जी कदाचित् यही कहेंगे।
का वर्षा जब कृषि सुखाने।
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मेरी पूर्व टिप्पणी में प्रयुक्त मुहावरे को मात्र एक प्रयोग के रूप में देखा जाय| कृषि सुखाने का तात्पर्य वास्तविक अथवा चिठ्ठे की गुणवत्ता / उपयोगिता (जो कि वास्तव में उच्च स्तरीय है) से किंचित-मात्र भी सम्बद्ध न समझा जाय।
अनूप के लेख पर अनूप की टिप्पणी । एक तो करेला ऊपर से नीम चढा …(अरे बाप रे ! ये तो गलत वाक्य में प्रयोग हो गया ना ???????
यह लेख पढ़कर पंडित जी के पेट में हँसते-हँसते बल पढ़ गये।
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thanks for the help
it helped me a lot.
u should have some more muhavras
achha hai aapke me cment to aate hai
thota chana baje gana iska vakya prayog chahiye
hey it was good
hindi me kahawti ache hi
बहुत ही कमाल के मुहावरे लिखे है आप ने………..
जोली अंकल
shut up u idiot. so dumbass muhavares those are not even one muhavare related to ” dhool ” which i wanted it.
Govt is not ready to pay any heed to its development then why we are paying our precious money as taxes. Why Lucknow is being developed by leaps and bounds and Kanpur stands first and foremost in unhygienic conditions, poor infrastructure and dugged up roads. I think we should all raise slogan “Clean Kanpur, Green Kanpur”.
कानपूर
होर्रिब्ले. नो हेल्प.