पिछले शनिवार को एक दिन के लिये इलाहाबाद जाना हुआ। हमारे कालेज में जो लोग १९८३ में पास आउट हुये उनका रजत जयन्ती मिलन समारोह था। हम १९८५ में कालेज-बाहर हुये लेकिन जान-पहचान के लोगों से मिलने के मोह ने हमको बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना बना दिया।
कालेज गये वहां तमाम पुराने जाने-पहचाने लोगों की शक्लें बदल जाने के कारण बेगाने से खड़े रहे। फ़िर जब पता चला अरे ये तो वो हैं, अबे तू है, हां हम हैं तो मिलन-जुलन यादों का सिलसिला चला।
शाम को जब मिलन-जुलन से फ़ारिग हुये तो वहीं बगल में शिवकुटी के पास ज्ञानकुटी में धावा बोला गया। ज्ञानजी गंगा किनारे जिस इलाके में रहते हैं वह इलाका हमारे कालेज में पढ़ते समय इत्ता भरा-भरा नहीं था जित्ता आज है। उनके घर के आस-पास तमाम घरों के आगे ईटों के चट्टे लगे हुये थे। लोगों ने जमीनों पर कब्जे कर लिये हैं, अब आसमान की बारी है।
ज्ञानजी के यहां पहुंचते ही ज्ञानजी ने सबसे पहले अपने यहां आपातकाल लगाने की कोशिश की। भाभी जी से बोले कि कुछ बोलना मत नहीं तो यह छाप देंगे। हमने बहुत आश्वासन दिया लेकिन ज्ञानजी चुप्पी साधे रहे काफ़ी देर। बाद में जब उनकी तारीफ़ शुरू करी हमने तब ज्ञानजी कुछ खुले। तारीफ़ ऐसा ब्रम्हास्त्र है जो बड़े-बड़ों को घायल देता है।
तारीफ़ के बाद हमने ज्ञान जी की खूब बुराई भी की। हमने भाभीजी से कहा कि ज्ञानजी आपकी सब खराब-खराब फोटो जान-बूझकर लगाते हैं। आप तो अपनी फ़ोटुओं से बहुत अच्छी हैं। उन्होंने भी इस बात को समझा और महसूस किया। फ़िर ज्ञानजी ने पता नहीं किस तरह इस बात को रफ़ा-दफ़ा करने में सफ़लता हासिल की मुझे याद नहीं। याद होगा भी तो बतायेंगे नहीं क्योंकि हमने उनको आश्वासन दिया था कि हम कुछ छापेंगे नहीं।
हमने भाभीजी के लेखन की भी तारीफ़ की और उनको नियमित लिखने को कहा। उनको यह बात ज्ञानजी ने शायद पहले बताई नहीं थी। शायद वो उनको उनके लेख पर आई टिप्पणियां दिखाते नहीं होगे। लेकिन जब एक बार हमने बताया तो उनको असलियत समझ में आ गई और फ़ट से उन्होंने एक धांसू लेख लिख मारा। आशा है अब वे नियमित लिखती रहेंगी।
ज्ञानजी के ब्लाग चरित्र भरतलाल से भी दर्शन हुये। और भी बहुत सारी बातें हुयीं। वहीं से शिवकुमार मिश्र को चर्चा का आदेश दिया गया। उनकी भी तारीफ़ करी गयी। हमने उनको जहां बताया कि भाभी कह रहीं हैं कि शिवकुमार अच्छी चर्चा करते हैं तो वे टंकियों पर चढ़ने का मौसम होने के बावजूद फ़ौरन पानी पर चढ़ गये। कल चर्चा कर बैठे। कहा ही गया है कि तारीफ़ आदमी को कहीं का नहीं छोड़ती।
करीब दो घंटे बातचीत के बाद हम वहां से बिदा हो लिये। शाम को कानपुर वापस। सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी , प्रमेंन्द्र और दूसरे ब्लागर साथियों से भी मिलने का विचार था अगले दिन लेकिन एक दिन में ही मन कानपुर वापस आने के लिये हुड़कने लगा। जैसे उड़ि जहाज को पंछी की तरह हम रात एक बजे अपने घर आ गये।
इस ज्ञानचर्चा का उद्देश्य यह बताना भी था कि आज ज्ञानजी का जन्मदिन है। देश भर में बालदिवस मनाया जा रहा है। हम शुरुआत ज्ञानदिवस से कर रहे हैं।
ज्ञानजी के बारे में हम पहले ही काफ़ी कुछ लिख चुके हैं। अब और कुछ लिखेंगे तो उनके डर की पुष्टि होगी और वे कहने लगेंगे- देखो हम मना कर रहे थे कि कुछ बोलो नहीं वर्ना ये छाप देंगे।
कुछ और लिखने में फ़िर शिकायत करेंगे कि देखो फ़ुरसतिया हमारा पर्सोना बिगाड़े दे रहे हैं।
इसलिये सिर्फ़ यही कह रहे हैं -ज्ञानजी को उनका जनमदिन मुबारक हो। वे स्वस्थ रहें, मस्त रहें। प्रसन्न रहे, टिचन्न रहें। अपने कैमरे का उपयोग करके भाभी जी की अच्छी, नेचुरल फोटो खींचने में करें। मेहनत करके खराब फोटॊ खींचना कोई अच्छी बात नहीं है जी।
आप यह पढ़कर जिस तरह मुस्करा हैं वैसेइच मुस्कराते रहें बाकी हम देख लेंगे।
अनूप सुकुलजी आप ने बतलाया – Good !
१४ नवम्बर जन्म दिन है ! अरे वाह !!
ज्ञान भाई साहब को
शतम्` जीवेन शरद: और मेनी हैप्पी रीटर्न्ज़ ओफ ध डे –
रीता भाभीजी और परिवार के सँग खूब आनँद मनायेँ
सभीको अभिवादन ~~
– लावण्या
ज्ञानजी को जनमदिन मुबारक हो।
जब तक कोई ज्ञान जी से मिल न ले तब तक उसे ज्ञान जी से बैर हो सकता है किन्तु ज्ञान जी से मिलने के बाद उसकी शंका और समाधान दोनो हो जाता है। मुझे भी ज्ञान जी से पिछले दो सालों में दो बार मिलने का अवसर मिला है, उनके पास बैठने से लगता है कि उनके नाम स्वरूप ज्ञानगंगा अपने आप ही प्रवाहित होने लगती है। उनसे दो बार मिलने पर दोनो बार मिलने पर पता नही क्यो व्यक्ति आकर्षित हुये रह नही पाता है, इसे ही सतसंगति का असर करते है। ज्ञान जी के बारे में यहॉं बहुत कुछ लिखा जा सकता है किन्तु लिखना मेरे लेखनी के बाहर है। ज्ञान जी को उनके जन्मदिवस पर बहुत बहुत बधाई, मै कामना करता हूँ कि वे हमें हमेंशा एक अच्छे आदर्श की भातिं मार्गदर्शन देते रहे।
आज इतनी निकट आये और चले गये, दुख हुआ किन्तु कोई बात नही आपके पास समयाभाव रहा होगा। पर अगली बार हम आपको ऐसे नही जाने देगे, इस बार न मिलने की सजा अगली बार सूद सहित बसूलेगे। खैर आपसे भी मिलने और बात करने में बहुत अच्छा लगता है, आज भी आपकी मीठी और सुमधुर आवाज मेरे कानों में गूँज उठती है। मेरे विचार से इसे ही लगाव या प्रेम कहते होगे।
कानपुर तो मेरी जन्मस्थली है तो इस शहर से लगाव होना भी विशेष है, अन्मिबार तब गया था जब आपसे मिला था, जब भी आउँगा तो आपसे जरूर मिलूँगा, यदि उस दिन आपकी दैन्दिनी की तिथि मेरे लिये आरक्षित होगी।
मै तो नेहरू जंयती नही मानने वाला हॉं ज्ञान दिवस तो जरूर मनायेगे। पुन: ज्ञानजी को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई ।
शेष कुशल
आप द्वअग्रजो का स्नेहाकांक्षी
सब को ज्ञान जी का जन्मदिन मुबारक हो। छवियाँ अच्छी हैं। आप ने सारी छवियां साइड की लाइट में ले ली जरा रोशनी सामने होती तो?
Gyaan ji ko janamdin ki bahut shubkaamnayen
ज्ञानजी को जन्मदिन कि बधाई, नही छापेंगे करते करते इत्ता कुछ
आ.ज्ञानजी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ! और इस सुचना के लिए आपका आभार !
gyan ji ko janmadivas ki shubh kamanae.n
जन्म दिवस की सह्श्त्रो शुभकामनाए…
तारीफ़ आदमी को सही में कहीं का नहीं छोड़ती. लेकिन हमें तो चिट्ठाचर्चा में ले जाकर छोड़ दिया. थोड़ी तारीफ और हो तो वहां से निकल कर कहीं और जम जाएँ.
भैया को जन्मदिन की बधाई.
प्रमेन्द्र जी ने ये नहीं बताया कि वे जब तक ज्ञान जी से नहीं मिले थे उन्हें ज्ञान जी के साथ बैर था या नहीं.
” very nice artical to read, many happy returns of the day to Mr. Ghyan jee..”
Regards
ज्ञानजी को जन्मदिन की बधाई. आप किस्मत वाले हैं सब से मिले आते हैं, हमें फोकट में जलन हो रही है.
ज्ञान जी को जन्म्दिन की हार्दिक बधाई !!
ज्ञान जी को जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
आपके मिलन की रिपोर्ट पढ़कर आनन्द आया.
अब ज्ञान जी के दुआरे ही बधावा गा आऊँ,
तौ ज़ादा नीक रही,
वइसे आप उनका जन्मदिन मनवा दिहौ, आजै..
हम तो भाई अवतरण-दिवस मनावेंगे, हमको बरहा पकड़ावे वाले यही महाशय हैं ।
शिवभाई आपके टिप्पणी बक्से की ओट से भैया को बधाई दे रहें हैं, सब ख़ैरियत तो ?
हम शीघ्र ही शोधोन्मुख होने वाले हैं, कि..
इस अज्ञानी विश्व में आकर, उन्होंने लड़कई में ऎसा कौन गुल खिलाया कि ज्ञान जी हुई गये !
सर जी को जन्म दिन की बधाई !
ज्ञानजी को मेरी तरफ से जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाऍ, बाकी फोटो वाली बात ध्यान देने वाली ल्रग रही है:)
स्नेह से मैं स्निग्ध हो रहा हूं। बहुत बहुत धन्यवाद आप सबको और अनूप जी को!
देर से ही सही लेकिन १४ तारीख में ही ज़न्मदिन की बधाई दे रहा हूँ .
फोटो कुछ कम रोशनी में खींचे हुए लगे ,
और साथ में जहाँ गए थे वहां बेगानी शादी के हाल भी रचना में डाल देते तो अच्छा होता .
ज्ञानजी को दोवारा मेरी तरफ़ जन्म दिन की बधाई, मजा आ गया आप क लेख पढ कर लोगों ने जमीनों पर कब्जे कर लिये हैं, अब आसमान की बारी है। भाई अपना नही आप की इस कलम मै क्या जादू है,पढते पढते पता ही नही चला की कब लेख खत्म हो गया,बहुत ही सुंदर.
धन्यवाद
are sir jee, aap to nehru jee ke birthdate share holder nikle, chaliye achha hai ab main apne bachchon ko keh saktaa hoon ki ek aur chacha jee kaa birth day baal diwas ke dil hota hai. maja aa gaya. naya gyan mila.
हमारी भी देर बधाई उन्हें।
मुआफी, चुनावी चकल्लस के चलते भेजे मे सब गोलमाल है इन दिनों।
नमस्कार फुरसटिया जी , आपकी रचनाएँ विशुद्ध मनोरंजक होती है |
एक बार फिर से इस व्यंग्यात्मक संस्मरण को पढ़कर मज़े आ गये |
कभी फ़ुर्सत से फ़ुर्सत मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आइए |
विचार जो भी हो शिरोधार्य होंगे |
लिंक है ……………………………..
http://varun-jaiswal.blogspot.com
धन्यवाद
मेरे जैसा लेटलतीफ़ तो कभी कभार ही टकराता है, फिर भी उसकी सॊरी कहने से पहले ज्ञानजी को जन्मदिवस की अनन्त मंगलकामनाएँ व वे अपने परिवार के साथ इसी प्रकार अगले सौ साल तक हँसते मुस्काते रहें।
आप को भी धन्यवाद ऐसे आत्मीय परिचय का।
्
ज्ञानजी को उनका जनमदिन मुबारक हो। वे स्वस्थ रहें, मस्त रहें। प्रसन्न रहे, टिचन्न रहें। अपने कैमरे का उपयोग करके भाभी जी की अच्छी, नेचुरल फोटो खींचने में करें।
हम आपके साथ हैं ,इस क्षमाप्रार्थना के साथ की विलंब से शुभकामना दे रहे हैं.
पुन: ज्ञानजी को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई!!!!!!!!!!!!!
[...] दोनों से मैंने जी भरकर मौज भी ली है। ज्ञानजी का तो पर्सोना तक बिगाड़के धर दिया। [...]