फ़ुरसतिया

अनूप शुक्ला: पैदाइश तथा शुरुआती पढ़ाई-लिखाई, कभी भारत का मैनचेस्टर कहलाने वाले शहर कानपुर में। यह ताज्जुब की बात लगती है कि मैनचेस्टर कुली, कबाड़ियों,धूल-धक्कड़ के शहर में कैसे बदल गया। अभियांत्रिकी(मेकेनिकल) इलाहाबाद से करने के बाद उच्च शिक्षा बनारस से। इलाहाबाद में पढ़ते हुये सन १९८३में ‘जिज्ञासु यायावर ‘ के रूप में साइकिल से भारत भ्रमण। संप्रति भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत लघु शस्त्र निर्माणी ,कानपुर में अधिकारी। लिखने का कारण यह भ्रम कि लोगों के पास हमारा लिखा पढ़ने की फुरसत है। जिंदगी में ‘झाड़े रहो कलट्टरगंज’ का कनपुरिया मोटो लेखन में ‘हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै‘ कैसे धंस गया, हर पोस्ट में इसकी जांच चल रही है।

17 responses to “जिसे देखो वह नखरे दिखा रहा है”

  1. ताऊ रामपुरिया

    जी दहल गया। बताओ अब छोटे लेख लिखने पढ़ेंगे। क्या दिन आ गये हैं। इसीलिये कहा गया है- पुरुष बली नहिं होत है, समय होत बलवान!

    बहुत सही कहा.:)

    रामराम.

  2. Kajal Kumar

    वाकई, कभी कभी कंप्यूटर नाराज़ सा हो गया लगता है…सब अपने मर्ज़ी से करने लगता है..मैं तो तब इसे माफ़ कर ऑफ कर देता हूँ..फिर बाद में कान उमेठता हूँ सीधा चल देता है..

  3. समीर लाल 'उड़न तश्तरी वाले'

    हाअ हा !! आपकी साईट पाठकों का कितना भला चाहती है, इसीलिए तो हिट्म हिट है जी…बस, यही साईज रखोगे तो पोस्ट कर पाओगे वरना टपते रहो!! जय हो साईट देवता की..और ईस्वामी की कि अटकाये रहें ऐसे ही!!

  4. RC Mishra

    अभी तो सब सही है न फ़िर अब काहे को झेला रहे हैं, कुछ पोस्ट वोस्ट करिये न!

  5. रवि

    क्या बात है! आज से व्यंज़ल का कॉपीराइट आपके नाम किया :)

  6. puja

    जो नखरा चले ना ऊ नखरा काहे का…आप तो इस ढीठ से भी पोस्ट करवा ही लिए…जय हो!

  7. Shiv Kumar Mishra

    नखरों से ही चलता है सब…साईट भी..स्वामी जी से कहकर ऐसी साईट बनवाईये जिसमें केवल फुरसतिया टाइप लेख ही प्रकाशित हों…जो साईट बाकी के लेखों को पत्ता न दे.

    व्यंजल का कॉपीराइट रतलामी जी ने आपको दे ही दिया है. जब तक फुरसतिया टाइप लेख न छपें, व्यंजल से काम चला लेंगे.

  8. कुश

    चलिए भगवान ने सबकी सुन ही ली .. किसी ने सच ही कहा है ऊपरवाले के घर में देर है अंधेर नहीं..

    गाना गाने का मन कर रहा है.-
    .
    चटका लगा दिया तुमने…
    नखरा दिखा दिया हमने…
    टाडा ओ तुमको टाडा… (कापी राइट – फिल्म हिन्दुस्तानी, टोपोराइट सबके पास है)

  9. हिमांशु

    “सिर्फ़ रविरतलामी का कापीराइट है व्यंजल पर
    फ़ुरसतिया लिख रहे हैं तो माउस थरथरा रहा है।”

    यह क्या ? माउस से लिखते हैं ?
    व्यंजल मजेदार रहा । धन्यवाद ।

  10. dr anurag

    हम बेक ग्रायुंड म्यूजिक दे रहे है जी…..कुश को….साथ में क्या कहते है जी .कोरस गान

  11. Abhishek Ojha

    टोपोराइट :) और माउसतोड़ लिखाइ करने पर बेचारा थर्थारायेगा ही :)

  12. दिनेशराय द्विवेदी

    ये तो मुसीबत थी जो फुरसतिया ने झेली। पर इधर दूसरी मुसीबत और मुहँ बाए खड़ी है। टिप्पणी भी मिनिस्कर्ट टाइप हो। वरना…
    वरना क्या? सुबह टिपियाते टिपियाते की-बोर्ड बन्द, उठाया, खड़काया, उल्टा किया ठपकारा, धूल धमास झाड़ा, सारी चाबियाँ दबा लीं कोई असर नहीं, बिलकुल तंद्रा में चला गया। अगड़म बगड़म पे टीपणी अधूरी ही अटकी रह गई। माउस जी ने वैसे ही भेज दी।
    कंप्यूटर को रिस्टार्ट किया तो की बोर्ड की तंद्रा टूटी। ऐसा लगता है मानसून आने तक नखरा समारोह जारी रहेगा।

  13. Anonymous

    क्या बात है!

  14. लावण्या

    नखरे उठानेवाले होँ,
    तब तो नखरे भी किये जाते हैँ !!
    रवि भाई जैसे और आप जैसे
    तथा स्वामीजी जैसे उत्तम ब्लोगर,
    जुगाड खोज ही लेँगेँ —
    - लावण्या

  15. PN Subramanian

    आजकल पटने पटाने का रिवाज़ बन पड़ा है.

  16. amit

    फ़िर समझाया गया पुरानी पोस्टें नहीं जो ड्राफ़्ट में मसाला है उसे कम किया जाये।

    सही कहा गया, अधिक ड्राफ़्ट बना के न रखा करें, अधिक से अधिक 10-20 ही रखें।

    साथ ही स्वामी जी को बोलें कि यदि पोस्ट रिवीज़न (post revision) रखने की सुविधा को बंद नहीं किया गया है तो उसे भी बंद करें और ऑटोसेव वाली सुविधा के अंतराल को बढ़ा कर 30 मिनट के आसपास कर दें क्योंकि ये सुविधाएँ कम और सिरदर्दी अधिक हो जाती हैं, हर बार डाटाबेस में एक रिकॉर्ड जोड़ देती हैं और समय के साथ-२ डाटाबेस में खामखा का कचरा बढ़ता रहता है। मैं तो इसलिए पोस्ट को नोटपैड में लिखता हूँ, और पोस्ट करने के टैम पर वर्डप्रैस में जाकर चेप देता हूँ।

    सिर्फ़ रविरतलामी का कापीराइट है व्यंजल पर
    फ़ुरसतिया लिख रहे हैं तो माउस थरथरा रहा है।

    माऊस से लिख रहे थे क्या जो ऊ थरथरा रहा था??!! ;)

  17. ज्ञानदत्त पाण्डेय

    छोटी पर डरावनी पोस्ट!

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