25 responses to “नैनीताल, चाय तुड़ाई और कान से सटा मोबाइल”

  1. - लावण्या

    चाय तुड़ाई (टी ब्रेक) जैसे शब्द आपही की देन रहेगी चिर काल तक :) और यात्रा विवरण बढिया रहा चित्र भी
    आगे के इँतजार मेँ
    - लावण्या

  2. कविता वाचक्नवी

    यात्रा अच्छी चल रही है, ब्लॊग पर भी।

  3. ताऊ रामपुरिया

    चाय तुडाई जैसे अनेक शब्दो के रचियता श्री फ़ुरसतिया जी को साश्टांग प्रणाम पहुंचे ! प्रणाम करने का सबब ये कि “ऊ” फ़ोन वाली का फ़ोटू अगली पोस्ट मे सटाना नही भुलियेगा ! एडवान्स मे प्रणाम कर लिये हैं ! एक बार बाद मे भी करेन्गे !

    टमाटर ६० रुपये किलो…? बाप रे… अच्छा है अकेले गये .. वर्ना…:)

    राम राम !

  4. cmpershad

    चायवाला वैसे ही भीतर से गर्म होता है क्योंकि वहां भूख की आग जो जल रही है। लछमनदास अपने गांव जाने की बात नहीं ही कहता यदि वो अमेरिका में होता। यहां रह कर उसे दो जून रोटी और गांव के परिवार की जुगाड ही खाये जा रही है ना।

  5. संजय बेंगाणी

    फोटू रखने का तरीका पसन्द आया, ठंड से काँपते लोगो की तस्वीरे भी ठीक ही आई है :)

    कुछ वाक्य-प्रयोग मजेदार लगे.

  6. savita verma

    rochak,halaki hum nanital ke niwasi hone ki vajah se jyada romanchit nahi ho pate.

  7. Manish Kumar

    nainital ki tasweeron ka intezaar rahega

  8. निट्ठल्ला चरित्र

    घंटाकट करके सब्ज़ियों पर निबंध लिखने का जुगाड़ तो बना ही लिया, आपने !

    बाकी समय चाय-तुड़ाई और कंबल गठबंधन के चिंतन में लगा दिया..

    और.. हमको एक अच्छी पोस्ट मिल गयी !

    इसी तरह सबके दिन बहुरें !

  9. neeraj

    बोले नैनीताल में आम आदमी का जीना नरक है। टूरिस्टों के चलते मंहगाई बहुत है। नौकरी पूरी करने के बाद वे वापस अल्मोड़ा लौट जायेंगे। अपनी आधी से अधिक जिंदगी नौकरी के सिलसिले में घर से दूर गुजारने के बाद भी आदमी घर वापस लौटना चाहता है।
    तभी कहते हैं “नानक दुखिया सब संसार” लोग दुःख कम करने नैनीताल जाते हैं और जो नैनीताल में हैं वो वहां खुश नहीं…कमाल है. अजब तेरी कारीगरी रे करतार….
    फोटो और कथ्य दोनों बेमिसाल…
    नीरज

  10. Dr.Anurag

    लाल स्वेटर से बाहर निकले अच्छा लगा .ओर आपका निष्कर्ष भी ठीक है…..ऐसी जगह तन्हा नही जाना चाहिए !

  11. Dr.Arvind Mishra

    रोचक !

  12. vidhu

    nenitaal badhiyaa jagah hai kousaani almodhaa yaa ranikhet main rahnaa sukhad ho saktaa hai aapka lekh achcha hai.

  13. कुश

    फोटू में तो आप अभय देओल लग रहे है..

  14. दिनेशराय द्विवेदी

    यात्रा विवरण से लगता है आप भी हम जैसे ही आदमी हैं।

  15. मसिजीवी

    “हम इस नतीजे पर बिना किसी मतभेद के पहुंच गये कि नैनीताल जैसी जगह पर अकेले नहीं पत्नी /प्रेमिका के साथ आना चाहिये ”

    आदत से गजब मजबूर हैं आप… वरना हर जगह पत्‍नी व प्रेमिका में स्‍लैश नहीं लग सकता। नैनीताल सी जगह पर प्रेमिका के साथ जाएं ये तो समझ आता है वरना साठ रुपए किलो टमाटर वाली जगह कोई पत्‍नी के साथ जाने की है।

  16. Abhishek Ojha

    हम तो पहिलही पूछने वाले थे की ‘माल’रोड पर क्या दिखा लेकिन… !
    खैर नंबर तो बढ़िया मिला है … प्यार बाँटते चलो टाइप.

  17. ज्ञानदत्त पाण्डेय

    इंशाअल्लाह। फोटू-ओटू भी सटाया जायेगा भाई!
    —–
    अच्छा, प्रार्थनारत सुकन्या का फोटो भी लिया है आपने? बड़ा रचनात्मक कार्य किया!

  18. anita kumar

    हम भी अनुराग जी से सहमत हैं , वो लाल स्वेटर और स्कूली बस्ता (पता नहीं किसका था) से तो ये जैकेट वाली फ़ोटो ज्यादा अच्छी लग रही है। चाय तुड़ाई शब्द हमें भी पसंद आया और सब उस लड़की की मुंह दिखाई को ललायित दिख रहे हैं तो आशा है अगली पोस्ट में चायवाला और वो लड़की दोनों दिखेगें।

    ये ट्रेनरों की जांच पड़ताल पर ज्यादा विश्वास नहीं करना चाहिए…॥:)

  19. VIVEK SINGH

    ये लकीर कब तक पीटी जाएगी ?

  20. राज भाटिया

    बहुत अच्छा लगा आप का नेनीताल का यह टुर, हम भी १९८७ मै गये थे एक सप्ताह कए लिये , खुब मजा आया, ओर बहुत से मित्र बन गये थे, जिन्होने हमे वहां कुलियो, ओर होटल वालो से लुटने से बचाया था. फ़ोटू भी अति सुंदर है.चाय तुडाई हमारे लिये नया शव्द है, वेसे हम वहा से खटखटी,खटखटी स्पेशल ओर खटखटी डबल स्पेशल चाय सीख कर ओर पी कर आये थे.
    धन्यवाद

  21. amit

    उनका कहना था कि रिचार्ज करने का काम हमको कानपुर में फोन करके अपने घर फोन करके करवा लेना चाहिये था। दस रुपये कम खर्च होते। हम क्या कहते? कह भी क्या सकते थे? कुछ कह सकते थे क्या?

    हम तो कहते कि प्री-पेड के चक्कर में ही काहे पड़े हैं, पोस्ट-पेड कराया होता कनेक्शन को रीचार्ज का झंझट ही न भुगतना पड़ता, साथ ही कॉलरेट भी प्री-पेड के मुकाबले कम!! :) खैर देर तो अभी भी नहीं हुई है!! ;)

  22. मानोशी

    आपके पोस्ट्स पढ़ने से चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।

  23. सुमंत मिश्र

    यायावरी की ऎसी मांसल प्रस्तुति,पुनः यात्रा पर जानें के लिए प्रेरित करती है!सुन्दर।

  24. संजय

    अच्छी पोस्ट है. ए.टी.आई. की फोटो भी अच्छी हैं.नैनीताल की और तस्वीरें पोस्ट करें

  25. फ़ुरसतिया-पुराने लेख

    [...] [...]

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