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कुछ आदमी से हो नहीं सकता - दाग देहलवी
कुछ आदमी से हो नहीं सकता - दाग देहलवी

जो हो सकता है इस से वो किसी से हो नहीं सकता मगर देखो तो फिर कुछ आदमी से हो नहीं सकता न रोना है तरीके का न हसना है सलीके का परेशानी में क...

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आप से तुम, तुम से तू होने लगी- दाग देहलवी
आप से तुम, तुम से तू होने लगी- दाग देहलवी

रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप से तुम, तुम से तू होने लगी मेरी रुसवाई की नौबत आ गयी शोहरत उनकी कूबकू होने लगी अब के मिल के देखिये क्या ...

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राह देखेंगे न दुनिया से गुजरने वाले - दाग देहलवी
राह देखेंगे न दुनिया से गुजरने वाले - दाग देहलवी

राह देखेंगे न दुनिया से गुजरने वाले हम तो जाते है ठहर जाए ठहरने वाले एक तो हुस्न बला उस पे बनावट आफत घर बिगडेंगे हजारों के सवरने वाले ...

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गज़ब किया तेरे वादे पे एतबार किया
गज़ब किया तेरे वादे पे एतबार किया

इस बरस ग़ज़ल को आम लोगो तक पहुचाने वाले फरिश्तों का जाना हुआ है कुछ समय पहले जगजीत सिंह साहब इस दुनिया से रुकसत हुए और आज पकिस्तान के मशहूर ग़ज़...

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यह इश्क का है घर कोई दारुल-अमां नहीं - दाग़ देहलवी
यह इश्क का है घर कोई दारुल-अमां नहीं - दाग़ देहलवी

हुस्ने -अदा भी खूबी-ए-सूरत में चाहिए यह बढती दौलत, ऐसी ही दौलत में चाहिए आ जाए राहे-रास्त पर काफ़िर तेरा मिज़ाज एक बंदा-ए-खुदा तेरी खिदमत ...

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ए फलक चाहिए जी भर के नजारा हमको - दाग देहलवी
ए फलक चाहिए जी भर के नजारा हमको - दाग देहलवी

ए फलक चाहिए जी भर के नजारा हमको जा के आना नहीं दुनिया में दोबारा हमको हम किसी जुल्फे-परेशा की तरह ए तक़दीर खूब बिगड़े थे मगर खूब सवारा हम...

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मुझे बुरा कहिये - दाग देहलवी
मुझे बुरा कहिये - दाग देहलवी

न रवा कहिये न सजा कहिये कहिये कहिये मुझे बुरा कहिये दिल में रखने कि बात है ग़म-ए-इश्क इस को हरगिज़ न बरमला कहिये वो मुझे क़त्ल कर के कहते है म...

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मुझको सजा मिले - दाग देहलवी
मुझको सजा मिले - दाग देहलवी

गर मेरे अश्के-सुर्ख से रंगे हिना मिले जो चोर कि सजा वह मुझको सजा मिले जाते थे मुह छिपाए हुए मयकदा को हम आते हुए उधर से कई पारसा मिले अपनी ...

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ये जो है हुक्म, मेरे पास न आए कोई- दाग देहलवी
ये जो है हुक्म, मेरे पास न आए कोई- दाग देहलवी

ये जो है हुक्म, मेरे पास न आए कोई, इसलिए रूठ रहे है की मनाए कोई ये न पूछो की गम-ऐ-हिज्र में कैसी गुजरी दिल दिखने को हो तो दिखाए कोई ...

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तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता - दाग देहलवी
तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता - दाग देहलवी

तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता वह शीशा हो नहीं सकता यह पत्थर हो नहीं सकता कभी नासेह की सुन लेता हु फिर बरसो तडपता हु कभी ह...

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दाग देहलवी परिचय
दाग देहलवी परिचय

दाग देहलवी जिनका वास्तविक नाम नवाब मिर्ज़ा खां था का जन्म २५ मई, १८३१ को दिल्ली में हुआ | जब दाग़ पाँच-छह वर्ष के थे तभी इनके पिता मर गए। इ...

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