जैसलमेर का बड़ा बाग: रेगिस्तान में है हरे टापू की तरह।
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- Anshika Sarda
- 03/12/2019
- Travel
वीरों की धरती राजस्थान का नाम ज़हन में आते ही रेगिस्तान के रेतीले टीलों पर पंछियों की तरह उड़ती रेत, बहादुरी के किस्से बयां करते बड़े-बड़े किले दिमाग में छा जाते हैं।
राजस्थान का कोना-कोना इतिहास की तारीखों में छिपी कहानियों को इमारतों की शक्ल में छुपाए रखता है। यहां जब भी कोई पर्यटक जाता है कभी निराश होकर नहीं लौटता। मुख्य पर्यटक स्थलों के अलावा भी यहां सैकड़ों ऐसे पर्यटक स्थल हैं जिनकी कहानियां जान कर आप रोमांचित हो जाएंगे। ऐसा ही एक पर्यटक स्थल है जैसलमेर शहर के नज़दीक स्थित “बड़ा बाग”।
1. “बड़ा बाग” के इतिहास की कहानी:
- जैसलमेर दुनिया भर में अपने स्थापत्य, खूबसूरत सांस्कृतिक विरासत और शौर्य गाथाओं के लिए जाना जाता है।
- जैसलमेर शहर से मात्र 6 किलोमीटर दूरी पर ‘बड़ा बाग’ है। बड़ा बाग के निर्माण की कहानी काफी दिलचस्प है। 16वीं सदी में इलाके के महाराजा ‘जय सिंह द्वितीय’ ने यहां पानी की समस्या को दूर करने के लिए बांध का निर्माण करवा कर एक तालाब बनवाया था।
- रेगिस्तानी मिट्टी को पानी मिलते ही यहां आस-पास के छोटे से क्षेत्र में हरियाली छा गई। कुछ समय बाद जब महाराज की मृत्यु हुई तो उनके पुत्र ‘लूणकरण’ ने अपने पिता की याद में यहां एक बाग का निर्माण करवाया। इसके साथ ही अपने पिता का छतरीनुमा समाधिस्थल भी बनवाया।
- उसके बाद तो जब भी इलाके में किसी भाटी राजा का देहांत होता तो उसकी छतरी यहां बना दी जाती। यह एक रिवाज बन गया। आज़ादी के बाद तक यह क्रम चलता रहा। यहां आखिरी छतरी स्वतंत्रता के बाद ‘रावल जवाहर सिंह’ की बनी थी। छतरी की निर्माण प्रक्रिया के बीच में ही इसे बनाने वाले जवाहर सिंह के पुत्र का देहांत हो गया। इस घटना को अशुभ संकेत के रूप में देखा गया। उसके बाद से यहां राजाओं की छतरियों के निर्माण की परंपरा समाप्त हो गई।
2. सुकून के साथ स्थापत्य भी बसता है बड़ा बाग में:
बड़ा बाग जितना शांति और सुकून भरा है, उतनी ही अदभुत है यहां बनी छतरियों की स्थापत्य कला। सैकड़ों छतरियों को एक साथ देख कर लगता है मानों रेगिस्तान में किसी ने पत्थरों की फसल उगाई हो। इन छतरियों पर सुंदर नक्काशीदार काम किया गया है। हर छतरी को चबूतरेनुमा प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है। कुछ को तो कमरे नुमा आकार दिया हैं जिनमें सुंदर झरोखें बने हुए हैं। मजबूत पत्थर के टुकड़ों से बने ये स्मारक सदियों से अपनी शान बनाये खड़े हैं।
3. धूप में सोने सी चमकती हैं बड़ा बाग की छतरियां:
बड़ा बाग रेगिस्तान की रेतीली जमीन पर हरियाली के एक छोटे टुकड़े की तरह नज़र आता है। यह दृश्य काफी रूमानी सा एहसास कराता है। वर्तमान समय में देखरेख के अभाव में बाग ने एक बेतरतीब हरियाली के झुंड की शक्ल ले ली है। मगर यहां फैली शांति आपको यहां जाना व्यर्थ नहीं महसूस होने देगी। सुबह और शाम के वक़्त जब सूरज की किरणें बड़ा बाग की छतरियों पर गिरती हैं तो लगता है जैसे पत्थर पर सोना पिघल रहा हो। यहां अक्सर लोग जैसलमेर शहर से दूर कुछ पल शांति की तलाश में बिताने आ जाते हैं।
4. छतरियों के अलावा भी कई आकर्षण है बड़ा बाग में:
बड़ा बाग में हरियाली और छतरियों पर फैली शांति के अलावा भी बहुत कुछ है जो आपके अंदर के घुमक्कड़ को बरकरार रखेगा। यहां जैतसार टंकी, जैत बांध और गोवर्धन स्तंभ भी देखने लायक जगह हैं। बड़ा बाग के बगल में ही आपको पवनचक्कियों का एक झुंड देखने को मिलेगा। रेगिस्तान में वनस्पति और बसावट कम होती हैं। इस वजह से हवाएं काफी तेज चलती है। यही कारण है कि इस इलाके में पवन चक्कियों को लगाया गया है जिनसे बिजली का उत्पादन होता है। यह पवन चक्कियां देखने में काफी आकर्षक लगती हैं। छतरियों के नीचे बैठ कर सुकून से इन चक्कियों पर लगे पंखों को घूमते हुए देखा जा सकता है।
5. बड़ा बाग से जुड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारियां:
- बड़ा बाग सुबह 8 से शाम के 6 बजे तक खुला रहता है।
- यहां भारतीयों के लिए 50 रुपये और विदेशी सैलानियों के लिए 100 रुपये का टिकट लगता है।
- बड़ा बाग जाने के लिए सुबह का और शाम का समय सबसे उपयुक्त रहता है। इस समय सूरज की तिरछी रौशनी में यहां शानदार व्यू कैप्चर करने को मिलते हैं। उस समय आप बेहतरीन तस्वीरें अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं।
6. कैसे पहुंचे बड़ा बाग:
- आपको बड़ा बाग जाने के लिए सबसे पहले जैसलमेर पहुंचना पड़ेगा। बड़ा बाग जैसलमेर शहर से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- जैसलमेर भारत के सभी प्रमुख शहरों से रेल, सड़क और हवाई मार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। बड़ा बाग लोद्रवा और जैसलमेर के बीच स्थित है।
- आपके पास खुद का साधन न हो तो जैसलमेर शहर से यहां रिक्शा, ऑटो, कैब के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।
7. कब जाएं बड़ा बाग:
रेगिस्तानी इलाके ख़ास कर जैसलमेर जैसी जगह पर तापमान अक्सर गर्म बना रहता है। ऐसे में बड़ा बाग जाने के लिए सबसे सही समय सर्दियों का मौसम रहता है। अक्टूबर से मार्च के बीच बड़ा बाग जाने ले लिए सबसे सटीक समय होता है। इस समय गर्मी कम होने से इस दौरान आप जल्दी थकते नहीं हैं और लू जैसी गर्म हवाओं से भी बचे रहते हैं।
8. बड़ा बाग के नजदीकी पर्यटक स्थल:
बड़ा बाग के नजदीकी इलाके में काफी विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल मौजूद हैं। यहां डेजर्ट नेशनल पार्क, कुलधरा गांव, लोद्रवा के जैन मंदिर, विश्व प्रसिद्ध पटवों की हवेली, नथमल की हवेली, सालिम सिंह की हवेली, गडसीसर झील आदि मुख्य नजदीकी पर्यटक स्थल हैं। अगर आप परिवार के साथ घूमना चाहते हैं तो यहां जाना काफी अच्छा विकल्प है।
समुद्र में जिस तरह टापू नज़र आता है। उसी तरह जैसलमेर शहर के बाहरी इलाके में पहुंचते ही बड़ा बाग छोटी सी पहाड़ी पर अपना वजूद लिए खड़ा नज़र आता है। यहां आपको भव्यता और भीड़ नहीं किंतु शहर की दौड़-भाग से दूर शांति और सुकून का एहसास मिलता है। सर्दियों की ठंडी शामों में यहां हवाएं मधुर संगीत बजाएं चलती हैं। पवन चक्कियों के घूमते पंखों के बीच से आती सूरज की किरणों में अपने शरीर पर सर्द हवाओं की छुअन महसूस करना चाहते हैं तो एक बार बड़ा बाग ज़रूर जा सकते हैं।